Trainee IAS officer Pooja Khedkar : पुणे की पूजा खेड़कर क्यों बनी विवाद का विषय जिन पर सरकार करने जा रही है कारवाही
Trainee IAS officer Pooja Khedkar : पुणे की आईएएस अधिकारी पूजा खेड़कर इन दिनों अपनी मांगो को लेकर चर्चा का विषय बन गई है महाराष्ट्र सरकार ने उनका ट्रांसफर वाशिम जिले में कर दिया है क्या है उनकी नाजायस मांगे जाने पूरा मामला
Trainee IAS officer Pooja Khedkar
पुणे में तैनात एक ट्रेनी आईएएस अधिकारी पूजा खेड़कर को प्रशिक्षण पूरा होने से पहले ही महाराष्ट्र के वाशिम जिले में ट्रांसफर कर दिया गया है,क्युकी उसने अलग केविन और स्टाफ जैसी मानगो को लेकर विवाद खड़ा कर दिया था।
ट्रेनी आईएएस अधिकारी मांगे
पीटीआई के अनुसार ,आधिकारिक पत्र में कहा गया है की 2023 बैच की आईए एस अधिकारी Pooja Khedkar को उनकी प्रशिक्षण की शेष अवधि पूरी करने के लिए वाशिम जिले में स्थान्तरित किया गया और 30 जुलाई ,२०२५ तक वंहा वे सुपरन्यूमेरी सहायक कलेक्टर के रूप में रह कर काम करेगी
ओडी कार पर करती है लाल बत्ती का इस्तेमाल
इसके अलावा वे लाल नीली बत्ती और विप नंबर प्लाट वाली अपनी पर्सनल ओडी कार का इस्तेमाल भी करती थी जिससे की प्रशासन में हलचल भी मच गई इसके साथ ही उन्होंने अपनी प्राइवेट कार बार महाराष्ट्र शासन का बोर्ड भी लगवाया था , Pooja Khedkar ने कलेक्टर कार्यालय से ऐसी मांगे की थी जो की पूरी तरह से अनुचित थी जिसमे विप नंबर प्लेट वाली आधिकारिक कार ,आवास ,पर्याप्त कर्मचारियो वाला एक आधिकारिक कक्ष और एक कॉन्स्टेबल शामिल था
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विवाद के बाद आई चर्चा में
नियनो में अनुसार ,एक प्रोबेशन अधिकारी को उपरोक्त सुविधाएं नहीं दी जाती है और उसे पहले राजपत्रीय अधिकारी के रूप नियुक्त किया जाना आवश्यक है ,वे यही नहीं रुकी और जब एडीशनल कलेक्टर अजय मोरे बहार थे तो उन्होंने उनके सामने वाले कक्ष पर भी कब्ज़ा कर किया और अपने नाम का एक बोर्ड भी लगा दिया
पुणे कलेक्टर द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट: अनुशासन में उलझन
पुणे कलेक्टर सुहास दीवसे ने सामान्य प्रशासन विभाग को एक रिपोर्ट सौंपी है, जिसमें खुलासा हुआ है कि 3 जून को ड्यूटी पर आने से पहले ही विशेषाधिकारी खेडकर ने बार-बार अपनी मांग की थी कि उन्हें एक अलग केबिन, कार, आवासीय क्वार्टर और एक चपरासी प्रदान किया जाए।
मुद्दे का संदर्भ
रिपोर्ट में उल्लिखित है कि Pooja Khedkar को प्रोबेशन पीरियड में इन सुविधाओं का हकदार नहीं माना जाना चाहिए था, बल्कि उन्हें केवल आवास प्रदान किया जाना चाहिए था। दीवसे ने रिपोर्ट में यह भी कहा कि खेडकर को उनके प्रशिक्षण के दौरान पुणे में अपनी यात्रा को आगे बढ़ाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए थी।
अन्य आरोप
इसके अलावा, रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि खेडकर ने पुणे कलेक्टर कार्यालय में एक वरिष्ठ अधिकारी की नेमप्लेट हटाने के लिए भी आदेश दिया था, जब उस अधिकारी ने उन्हें अपने पूर्व कक्ष के रूप में उपयोग करने की अनुमति दी थी। इसके अतिरिक्त, खेडकर ने अपनी निजी ऑडी कार का उपयोग भी किया, जिस पर लाल-नीली बत्ती और वीआईपी नंबर प्लेट थी। इससे प्रशासन में हलचल मच गई, क्योंकि नियमों के अनुसार प्रशिक्षु को ऐसी सुविधाएं प्रदान नहीं की जानी चाहिए थीं।
इस रिपोर्ट ने खेडकर के विभिन्न कार्यों पर सवाल उठाए हैं और उनके व्यवहार की जांच की मांग की है। दीवसे ने उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जा सकती है।