Harda पताका फक्ट्री में लगी आग से जो मोते हुए है उनका अकड़ा क्यों छुपाया गया.
अभी भी हरदा पताका फैक्टी में जो अकड़ा सामने आया है अभी तक मौत हो रही है जिनका इलाज चल रहा है हॉस्पिटा में आज भोपाल एम्स में ८ साल के बच्चे दमतोड़ दिया इलाज के दौरान।
विस्पोट इतना भयानक था की उसके मलवे को हटाने के लिए ४-५ मशीन लगाना पड़ी सोचने में आता है इतनी बड़ी फक्ट्री में करीब से करीब १००० से ज्यादा लोग काम कर रहे थे। लेकिन अश्ली अकड़ा अभी सरकार के पास है मलवे में आग में भस्म होगये है जिनको ढूंड पाना और पहचान करना ना मुंकिन है। बतया जा रहा है वंहा छोटे छोटे बच्चे भी खेल रहे थे जीने माता पिता अंदर काम करने गए थे।
अभी तक सर्कार का अकड़ा ६ से १३ तक पंहुचा है। इसमें जिम्मेदार कोन है इतना बारूद suply किसकी अनुमति से हो रहा था। कौन है पीछे इतनी बड़ी फक्ट्री खड़ी कैसे हो गई किसीने पहले ऑब्जेक्शन क्यों नहीं लिया समय – समय पे जाचे क्यों नहीं की गई।
और अगर अनुमति दी भी थी बनाने की तो फायर से बचने के लिए क्या नियम थे ये क्यों नहीं अबतया गया और उससे निपटने के क्या इतजाम होंगे उनके पास पुलिस ने पहले कभी छपा मारा। गलतिया यंहा बहुत है लापरवाही या भी बहुत है सरकार की भी और पुलिस प्रशासन की और फक्ट्री मालिक की जिसने सिर्फ पैसे कमाने लालच में कही लोगो की जान के साथ खिलवाड़ किया।
लोकल लोगो की मने तो करीब रोजाना वंहा १००० से भी ज्यादा लोग काम कर रहे थे और अनुमान भी लगाया जाये तो जैसा की फक्ट्री का छेत्रफल देख के काफी बड़ी फक्ट्री थी ज्यादा लोग काम कर रहे थे।
कही परिवार का परिवार ही दफन होगया उस आग में कौन है उनके लिए आवाज उतने वाला किसीको पता नहीं है ,जीतू पटवारी जी कह रहे थे डेरी रजिस्टर निकालो उसमे होगा , जब इंसान मर रहा हो तो लोग रजिस्टर को बचने नहीं जायेंगे
कमरे भी अगर लगे होंगे तो ो भी उसी आग में जल गए होंगे रिकॉर्ड के नाम पे कुछ भी नहीं बचा होगा वंहा कैसे पता लगाए जाये की कितने मजदुर अंदर थे और कितने बहार थे। यह एक ? है सरकार और जनता सामने ऑनलाइन कोई कोई जान करि होगी फक्ट्री मालिक के पास तो पता लगाया जा सकता जा है , ऐसी फैक्ट्रयों में काम करने वाले लोगो का बिमा जरूर कराया जाता है , सायद वही डाटा मिल जाये ताकि पता लगाया जा सके कितने लोग काम कर रहे थे।