Angel Tax ?: एंजेल टैक्स क्या होता ?क्यों कर रही है सरकार इससे पूरी से ख़त्म

Angel Tax ?

Angel Tax :, जो देश में 2012 में लागू हुआ था, विशेषकर उन बिजनेस या कंपनियों पर लागू होता था जो अनअंतर्जातीय बाजार में नोट शेयर्स नहीं थे और जो अपनी शुरुआती दिनों में एंजेल निवेशकों से पूंजी प्राप्त करते थे।

Angel Tax ?
Angel Tax ?

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्रीय बजट 2024-25 के दौरान संसद में कई महत्वपूर्ण घोषणाएं की। इनमें से एक घोषणा थी कि Angel Taxको पूरी तरह से समाप्त कर दिया गया है। पहले से ही इस टैक्स को हटाने की मांग थी।

Angel Tax को हटाने से यह उम्मीद की जाती है कि शुरुआती और नवीनतम व्यापारिक प्रयासों को स्वतंत्र रूप से वित्तीय संसाधन प्राप्त करने में बड़ी सहायता मिलेगी। इससे उद्यमियों को नए और आधुनिक विचारों को सम्मिलित करने का मौका मिलेगा, जिससे नौकरियों की सृजना में भी बढ़ोतरी हो सकती है।

अब यह देखना होगा कि कैसे यह फैसला आम आदमी पर पड़ेगा, लेकिन यह विश्वास किया जा सकता है कि व्यापारियों को नए और नवाचारी रूप से विकसित होने का बेहतर मौका मिलेगा।

Angel Tax ? क्या होता ?

Angel Tax को भारत में साल 2012 में शुरू किया गया था। इसे उन स्टार्टअप्स बिजनेस पर लागू किया गया था जो अनलिस्टेड थे और जो एंजेल निवेशकों से फंडिंग प्राप्त करते थे। इसे और आसान भाषा में समझो जब एक स्टार्टअप एक एंजेल निवेशक से पैसे लेता था, तो उसे इस फंडिंग पर टैक्स भी चुकाना पड़ता था।और यह सभी प्रक्रिया आयकर अधिनियम 1961 की धारा 56 (2) (vii) (b) के अंतर्गत होती थी। जिसे हम एंजेल टैक्स कहते है

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क्यों कर रही है सरकार इसे ख़त्म

दरसल , सरकार का मानना था कि Angel Tax ? के माध्यम से वह मनी लॉन्ड्रिंग को रोक सकती है और सभी बिजनेस को टैक्स के दायरे में लाने में मदद मिल सकती है। हालांकि, सरकार के इस कदम से बहुत से स्टार्टअप्स को नुकसान हो रहा था। यही वजह थी और इस टैक्स की वजह से कई स्टार्टअप्स को अपनी वैल्यू से ज्यादा टैक्स चुकानी पड़ती थी। जिससे इस टेक्स को ख़त्म करने की मांग उठी ऐसी हालत में स्टार्टअप को 30 .9 % टैक्स चुकाना पड़ता था

इसलिए, इस टैक्स को हटाने की मांग बढ़ गई थी। यह टैक्स उस समय असली दिक्कत बनता था जब किसी स्टार्टअप को मिलने वाला निवेश उसकी फेयर मार्केट वैल्यू से भी अधिक हो जाता था।

खेर अब मोदी सरकार ने इस टैक्स को खत्म करने का फैसला किया है। इससे देश के स्टार्टअप्स को बढ़ावा मिल सके । क्योकि वास्तव में, पिछले कुछ वर्षों में स्टार्टअप्स की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है और कई स्टार्टअप्स यूनिकॉर्न बन चुके हैं। मोदी सरकार का लक्ष्य है कि देश में स्टार्टअप्स को बढ़ावा दिया जाए, और उसी में सरकार पूरी तरह से समर्थन कर रही है।

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