स्पेशल मैरिज एक्ट जिसके तहत हुई सोनाक्षी -जाहिर की शादी जाने क्या है क़ानूनी नियम
स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत, 30 दिन के सार्वजनिक नोटिस को हटाने के प्रयास पर व्यापक चर्चा और विवाद चल रहे हैं। इस विवाद में, सुप्रीम कोर्ट में एक मामला प्रस्तुत किया गया है जिसमें संविधानिक व न्यायिक मामलों पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। इस मुद्दे पर न्यायिक प्रक्रिया और विधि विशेषज्ञों के बीच विवाद है कि क्या यह नोटिस विधिमान है या नहीं। विभिन्न पक्षों के अनुसार, इस निर्णय का महत्वपूर्ण प्रभाव हो सकता है और यह समय-समय पर जनसमाचार में उच्चारित किया गया है।

सोनाक्षी सिन्हा और जहीर इकबाल कानूनी तौर पर पति-पत्नी बन गए हैं। इन दोनों ने सिविल मैरिज स्पेशल मैरिज एक्ट से जुड़ी सभी कानूनी औपचारिकताएं पूरी कर ली हैं। सोनाक्षी और जहीर दोनों अलग-अलग धर्मों से हैं, इसलिए इनकी शादी स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत हुई है। सोनाक्षी के बांद्रा पश्चिम में समुद्र के किनारे स्थित 26 मंजिला अपार्टमेंट में हुई शादी में दोनों पक्षों के दोस्त और रिश्तेदार शामिल हुए। इसमें सोनाक्षी के माता-पिता, बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता और आसनसोल से नवनिर्वाचित लोकसभा सांसद शत्रुघ्न सिन्हा और उनकी पत्नी पूनम, सोनाक्षी की करीबी दोस्त और ‘डबल एक्सएल’ की सह-कलाकार हुमा कुरैशी शामिल थीं
स्पेशल मैरिज एक्ट (Special Marriage Act), 1954
स्पेशल मैरिज एक्ट, 1954 के तहत शादी के लिए रजिस्ट्रेशन कराया जाता है। अगर किन्हीं दो धर्म या जाति के लोगों को स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत शादी करनी है, तो उन्हें विवाह के लिए आवेदन देने की तारीख तक बालिग होना जरूरी है। लड़के की उम्र 21 साल और लड़की की उम्र 18 साल से कम नहीं होनी चाहिए। इसके अलावा दोनों पहले से शादीशुदा नहीं होने चाहिए। साथ ही दोनों मानसिक रूप से स्वास्थ्य हों, उन्हीं की शादी स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत हो सकती है। अगर इनमें से कोई भी शर्त पूरी नहीं होती है, तो शादी का आवेदन रद्द कर दिया जाता है। सभी योग्यताओं को पूरा करने वाला जोड़ा अपने एरिया के रजिस्ट्रार के समक्ष पेश होकर शादी के लिए आवेदन जमा करा सकता है।
गुप्त विवाह: स्पेशल मैरिज एक्ट की एक दृष्टि
भारतीय समाज में धार्मिक विभाजन के बावजूद, अक्सर एक लड़का और लड़की अपने विवाह को गुप्त रखना चाहते हैं। इस इच्छा को पूरा करने के लिए उन्हें स्पेशल मैरिज एक्ट का सहारा लेना पड़ता है। इस एक्ट के अंतर्गत, विवाह के आवेदन पर रजिस्ट्रार एक महीने का पब्लिक नोटिस जारी करते हैं, जिसमें यह सुनिश्चित किया जाता है कि किसी भी व्यक्ति को इस विवाह से कोई आपत्ति नहीं है। अगर कोई ऐसी आपत्ति सामने आती है, तो उसे समाधान करने के बाद विवाह पंजीकृत किया जाता है। इस प्रक्रिया से शादी की प्रक्रिया गुप्त और धीमी बनाई जा सकती है, जो विवाह करने वालों के लिए आरामदायक साबित हो सकता है।
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स्पेशल मैरिज एक्ट: 30 दिन के नोटिस प्रश्न पर सुप्रीम कोर्ट का स्थान
स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत विवाह के लिए आवेदन करने के बाद जारी 30 दिन का सार्वजनिक नोटिस को लेकर समाज में विवाद चल रहा है। यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट में इस मुद्दे पर मामला दायर है। याचिका में दावा किया गया है कि इस नोटिस को 30 दिनों के प्रावधान को हटा दिया जाना चाहिए, क्योंकि यह सुरक्षा और योग्यता की प्रवृत्ति को प्रभावित कर सकता है। हालांकि, अभी तक इस मामले में कोई अंतिम निर्णय नहीं हुआ है और सुप्रीम कोर्ट इस मुद्दे पर विचार कर रही है। इस विवादित प्रस्ताव के अनुसार, स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत 30 दिनों का नोटिस ‘पितृसत्तात्मक’ रूप से आवश्यक माना जाता था।
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