पेरिस ओलंपिक 2024 :डोपिंग टेस्ट में खिलाड़ियों को कैसे किया जाता है परीक्षण और फेल होने पर क्या मिलती है सजा”
पेरिस ओलंपिक 2024 में इराक का एक खिलाड़ी डोपिंग टेस्ट में फेल हो गया है,आज हम आपको बताएंगे कि डोपिंग टेस्ट क्या होता है और अगर कोई खिलाड़ी इसमें फेल होता है, तो उसे क्या सजा मिलती है।
पेरिस ओलंपिक 2024 में इराक का एक खिलाड़ी डोपिंग टेस्ट में फेल हो गया है, जिसके बाद उसे खेल से बाहर कर दिया गया है। क्या आप जानते हैं कि डोपिंग टेस्ट क्या होता है और इसके नियम क्या हैं?
इस साल भारतीय निशानेबाज मनु भाकर ने पेरिस ओलंपिक में 10 मीटर एयर पिस्टल इवेंट में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रचा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि मनु समेत सभी ओलंपिक खिलाड़ियों को डोपिंग टेस्ट से गुजरना पड़ता है?
आज हम आपको बताएंगे कि डोपिंग टेस्ट क्या होता है और अगर कोई खिलाड़ी इसमें फेल होता है, तो उसे क्या सजा मिलती है।
ओलंपिक में डोपिंग टेस्ट: क्या होता है और इसका नियम क्या है?
ओलंपिक में भाग लेने वाले दुनियाभर के खिलाड़ियों को डोपिंग टेस्ट से गुजरना पड़ता है। हाल ही में, ओलंपिक के शुरूआत के साथ ही डोपिंग का पहला मामला सामने आया है। इराक के एक जूडो खिलाड़ी को दो प्रतिबंधित पदार्थ (एनाबॉलिक स्टेरॉयड) के इस्तेमाल के लिए पॉजिटिव पाया गया है।
अंतरराष्ट्रीय जांच एजेंसी (आईटीए) ने शुक्रवार को बताया कि 28 साल के सज्जाद सेहेन के नमूने में प्रतिबंधित पदार्थ मेटांडिएनोन और बोल्डनोन पॉजिटिव पाए गए हैं। आईटीए, जो अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के लिए डोपिंग रोधी कार्यक्रम की देखरेख करती है, ने कहा कि इस खिलाड़ी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू कर दी गई है और उसे अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया है।
डोपिंग टेस्ट क्या होता है?
आसान भाषा में समझें तो, डोपिंग तब होती है जब खिलाड़ी अपने प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए प्रतिबंधित पदार्थों का सेवन करते हैं। डोपिंग में आने वाली दवाओं को पांच प्रमुख श्रेणियों में बांटा गया है:
- स्टेरॉयड – ये पदार्थ मांसपेशियों की वृद्धि को बढ़ाते हैं।
- पेप्टाइड हॉर्मोन – ये हॉर्मोन शरीर की वृद्धि और प्रदर्शन को प्रभावित करते हैं।
- नार्कोटिक्स – ये दर्द निवारक होते हैं और खिलाड़ी को अधिक मेहनत करने की अनुमति देते हैं।
- डाइयूरेटिक्स – ये शरीर से तरल पदार्थ को निकालते हैं और वेट कटिंग में मदद करते हैं।
- ब्लड डोपिंग – इसमें खून के तत्वों को बढ़ाकर प्रदर्शन को बढ़ाया जाता है।
इन दवाओं के उपयोग से न केवल खिलाड़ियों के स्वास्थ्य को नुकसान होता है, बल्कि खेल की निष्पक्षता भी प्रभावित होती है। इसलिए डोपिंग टेस्ट खिलाड़ियों के लिए महत्वपूर्ण हैं ताकि खेल में ईमानदारी बनी रहे।
डोपिंग टेस्ट: ताकत बढ़ाने वाली दवाओं का पता कैसे लगाया जाता है?
किसी भी खेल में ताकत बढ़ाने वाली दवाओं के इस्तेमाल को पकड़ने के लिए डोप टेस्ट किया जाता है। किसी भी खिलाड़ी का किसी भी समय डोप टेस्ट लिया जा सकता है, और यह टेस्ट नाडा (नेशनल एंटी डोपिंग एजेंसी), वाडा (वर्ल्ड एंटी डोपिंग एजेंसी), या दोनों की ओर से किया जा सकता है।
डोप टेस्ट के लिए खिलाड़ियों के मूत्र के सैंपल लिए जाते हैं। सामान्यत: नमूना एक बार ही लिया जाता है। डोप टेस्ट की प्रक्रिया को दो चरणों में बांटा जाता है:
- पहला चरण (ए सैंपल): यदि ए सैंपल पॉजिटिव पाया जाता है, तो खिलाड़ी को अस्थायी रूप से प्रतिबंधित कर दिया जाता है।
- दूसरा चरण (बी सैंपल): खिलाड़ी चाहें तो एंटी डोपिंग पैनल से बी-टेस्ट सैंपल के लिए अपील कर सकता है। यदि बी सैंपल भी पॉजिटिव आता है, तो उस खिलाड़ी पर स्थायी प्रतिबंध लगा दिया जाता है।
इस तरह, डोपिंग टेस्ट खेल की निष्पक्षता और खिलाड़ियों की स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण होता है।
डोप टेस्ट: NADA और WADA की भूमिका
डोप टेस्ट NADA (नेशनल एंटी डोपिंग एजेंसी) या WADA (वर्ल्ड एंटी डोपिंग एजेंसी) की ओर से किया जाता है। इस टेस्ट में खिलाड़ियों के यूरिन के सैंपल को विशिष्ट लैब में जांचा जाता है:
- NADA की लैब: भारत में, डोप टेस्ट के लिए सैंपल की जांच नाडा की लैब दिल्ली में की जाती है।
- WADA की लैब्स: वर्ल्ड एंटी डोपिंग एजेंसी के तहत, सैंपल की जांच दुनिया भर में विभिन्न वाडा मान्यता प्राप्त लैब्स में की जाती है।
इन लैब्स में की गई जांच से यह सुनिश्चित किया जाता है कि खिलाड़ी ने किसी भी प्रतिबंधित दवा या पदार्थ का उपयोग नहीं किया है, जिससे खेल की निष्पक्षता और खिलाड़ियों के स्वास्थ्य की सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
भारत में डोपिंग का पहला मामला: 1968 की कहानी
भारत में डोपिंग का पहला खुलासा 1968 में हुआ था। उस समय दिल्ली के रेलवे स्टेडियम में मेक्सिको ओलंपिक के लिए ट्रायल चल रहे थे। इस ट्रायल के दौरान, 10 हजार मीटर दौड़ में भाग ले रहे खिलाड़ी कृपाल सिंह ने ट्रैक छोड़कर सीढ़ियों पर चढ़ना शुरू कर दिया और उनके मुंह से झाग निकलने लगा। इसके बाद कृपाल सिंह बेहोश हो गए।
जांच के बाद पता चला कि कृपाल सिंह ने नशीला पदार्थ का सेवन किया था, ताकि वह मेक्सिको ओलंपिक के लिए क्वालिफाई कर सकें। यह घटना भारत में डोपिंग के मामले का पहला खुलासा था और इसके बाद से भारत में डोपिंग से जुड़ी कई घटनाएँ सामने आने लगीं।
ओलंपिक में डोपिंग की स्थिति: खिलाड़ियों को क्या सजा मिलती है?
अगर कोई खिलाड़ी ओलंपिक में डोपिंग जांच में पकड़ा जाता है, तो उसे खेल से बाहर कर दिया जाता है। इसके साथ ही, उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाती है।
- खिलाड़ी की निलंबन: डोपिंग के मामलों में, खिलाड़ी को कुछ समय के लिए खेल से प्रतिबंधित किया जा सकता है। इस अवधि के दौरान, खिलाड़ी किसी भी खेल प्रतियोगिता में भाग नहीं ले सकता है।
- अनुशासनात्मक कार्रवाई: डोपिंग के आरोपों के आधार पर खिलाड़ी के खिलाफ विभिन्न प्रकार की अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है, जैसे कि खेल से अस्थायी या स्थायी रूप से निलंबन, पुरस्कारों की वापसी, और अन्य दंडात्मक उपाय।
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